जागरण गीत / चन्द्रमणि
नव निर्माण करी
नव निर्माण करी
आउ, युवाजन ! मिलकऽ नूतन मिथिलाकेर निर्माण करी
विष्व विजय कय सकी
उड़ाबी बाधा-ब्याधि-पहाड़
तम आसुरी प्रवृत्ति हटाबी
हम शक्तिक भंडार
लक्ष्य साधि हम चलल
पथिक छी, बाट ने कोनो दुर्गम
ओजक ओजन नव उमंग लऽ
अनुप्राणित छी सदिखन
सुख-वैभव-मधु आकर्षणसँ विलग सतत गतिमान रही
गौरव गरिमासँ ज्योतिर्मय
मिथिलाकेर इतिहास
सुखद भविष्यक निर्माणक हित
अर्पित जीवन-चास
एकमात्र अछि ध्येय हमर
नव मिथिलाकेर निर्माण
बिनु शोषण उत्पीड़न के हो
आजुक मधुर विहान
न्यायोचित अधिकार लेल हम सब संभव बलिदान करी
पूबा-पछिमा-दछिनाहा केर
तजि संकुचित विचार
मिथिलावासी सब छी मैथिल
कऽ ली अंगीकार
जातिवाद केर श्राद्ध-क्रिया कय
मिथिला मैथिल लेल लड़ी
भाषा मम सबठाँ हो पूजित
हम प्रयास एहि लेल करी
पैघ घटा आ धनी गरीबक गणनाहुक अवसान करी
आउ युवाजन! मिलिकऽनूतन मिथिलाकेर निर्माण करी