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मुन्नी और पिल्ला / श्रीनाथ सिंह
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मुन्नी से है अधिक चिबिल्ला,
उसका प्यारा छोटा पिल्ला।
मुन्नी के संग आता जाता,
मुन्नी के संग दौड़ लगाता।
मुन्नी को अम्मा समझाती,
भला क्यों न तू पढ़ने जाती?
पर मुन्नी कुछ ध्यान न देती।
पिल्ले के संग वह चल देती।
दोनो ही करते शैतानी,
ऊब गई थी उनसे नानी।
कहाँ गये वे पता न चलता,
उन्हें खोजना माँ को खलता।
खेत बाग वन ,नदि व नाले,
दोनों ने थे देखे भाले।
घर में वे न बैठते छिन भर,
बस घूमा ही करते दिन भर।
इससे अम्मा ने गुस्साकर,
बन्द किया ताले के अन्दर।
मुन्नी करती ऊँ -ऊँ ,ऊँ ऊँ,
पिल्ला करता पूँ, पूँ, पूँ, पूँ।
लेकिन माँ ने उन्हें न छोड़ा,
उसको दया न आई थोडा।
तब मुन्नी बोली यों रोकर,
पिल्ले को तो कर दो बाहर।