भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साथण दिया जगादे / गणेशीलाल व्यास उस्ताद

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:06, 16 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गणेशीलाल व्यास उस्ताद |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साथण दिया जगादे
दीवाळी सिणगार सयांणी जुग रौ पंथ उजादे
साथण दिया जगादे

औ नव जुग नित जुग सूं न्यारौ, लिछमी नै पुरसारथ प्यारौ
युध बिसर्या जीवन नै साथण जुग री गत समझादे
साथण दियो जगादे
क्रोड़ हाथ कारज में लागै, कोड़ मिनख री सुख-बुध जागै
सीर संभ्ये हथबळ नै साथण कळ पर कांम लगा दे
साथण दियो जगादे

छिण बदळै पळ में बंध जावै, हुनर मजूरी हेत निभावै
जुग सांधौ सुळझावण साथण समय सुधा बरसा दे
साथण दिया जगादे