भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उद्धार करो भगवान / भजन

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:18, 15 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े ।<br> भव पार करो भगवान त...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार:                  

उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े ।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े ॥

कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये ।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े ॥

पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते ।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े ॥

तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी ।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े ॥

ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना ।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े ॥