भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं / भजन
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:19, 15 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।<br><br> देख लिया जग सारा ...)
रचनाकार: |
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।
देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं ।
तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं ॥
अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं ।
हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ॥