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म्हारी सूं सवाई सांवठी / मालचंद तिवाड़ी

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उगेरूं याद
पांख्यां बारै आयो म्हैं
सुणिया समचार-झड़गी आंगळी।
जिणरै लमूट करतो
पगलिया धरती पैलीपोत रा।

म्हारा जी’सा
थांरी मिरतू में जलमी
म्हारी लाचारी।
अजै लग फिरूं बिचूरतो-
मुड़दा तिणकला,
जंगी थांभ,
जोवतो थांरी आंगळी।

मां दीवी थांरी फोटू
कैयो-अै हा थारा बाप जी।
मंढ़वाई म्हैं मूंघै फ्रेम।
बतळावै म्हारा टाबर
जिणनै दाता केय।

पण म्हैं थांरा दरसण पाऊं,
फोटू में नीं,
मां री देही रळियोड़ै उजियाड़-
बसियोड़ी अणबोली थांरी उडीक में।

फोटू नीं
म्हनै चाइजती
म्हारै सुपनां रै साइनी
थांरी मूरत जी’सा
म्हारी सूं सवाई सांवठी।

लावतो म्हैं-
कीरत रा कूंकू-पगल्या,
धोखै रा समदर-झाग,
सैमुण्डै किस्मत रौ रूसणो,
पीड़ री चिरळाटी कै किल्लोळ,
देंवती वा सबनै छाती आसरो।

थांरी छाती जी’सा
म्हारी तिजूरी होवती-
जिणरै बारै,
कुतर कर दीन्यो म्हारौ बाळपणो,
उमर रा ऊंदरां।