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सुपौल से छीन लिए गये / कुमार सौरभ

छोटी लाइन की सुस्त रेलगाड़ी से
सुबह ही जो सुदूर सुपौल से
सहरसा जंक्शन पहुँचे हैं
उन्हें मालूम हो कि
उनकी रेलगाड़ी अगली सुबह आठ-साढ़े आठ से पहले
नहीं खुलनेवाली !

अपनी तरफ से एक पैसा ढिलाई नहीं
कि पूरा दिन पूरी रात काट लेंगे जंक्शन पर !!

अक्सर ही, सुपौल के हिस्से से चुरा लिए गए
ऐसे दिन-रात का साक्षी बनता है
सहरसा जंक्शन
इसे मालूम है कि ऐसे ही न जाने कितने सुपौल हैं
जिनके हिस्से से ऐसे कई दिन-रात छीन कर ही
पटरी पर रह पाता है पंजाब ! मुम्बई कर पाता है मस्ती ! और दौड़ती रह पाती है दिल्ली !
सहरसा तो महज पूर्वाभ्यास है !!

शब्दार्थ
<references/>