भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थ्यावस / निशान्त

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:54, 4 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भीड़ भर्यै
सै‘र अर
गांवां सूं बारै
झ्याज ज्यूं लद्या खेत
कैंवता लागै-
बावळौ, क्यूं घबराओ
अजे म्हैं नीं छोड़्यो है
निपजणो।