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सींव / निशान्त
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सींव भाऊं किणीं
देश री हुवै का
प्रदेश री
बीं रै आर-पार
दूर-दूर तांई
कीं नीं हुवै
बदळेड़ो
न तो माटी रो रंग
न पेड़-पौधा
न लोगां रो पै ’राण
न बोली
‘साइन बोर्ड’ नीं टंगेड़ो हुवै तो
कीं ठा नीं पड़ै
फेर सींव मौजद हुवै
सो कीं बांटती ।