Last modified on 4 मई 2015, at 17:01

तुम (हाइकु) / अशोक कुमार शुक्ला

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:01, 4 मई 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 (1)
तुम आये तो
महकी फुलवारी
मायूसी हारी
(2)
हरारत है
आलिंगन तुम्हारा
पिघला तन
(3)
तेरी आहट
गुनगुनी धूप सी
माह पूस की
(4)
तुम हंसे तो
बिजली सी चमकी
बादर झरे