भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लगाव / निशान्त
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 9 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जबाड़ा निसरेड़ो
बीं रो चैरो
कोजो हो
पण बस मांय बैठ्यो
म्हैं
बीं कानी ई देखै हो
क्यूं कै बो
मेरै गाम रै अेक
सुरगवासी आदमी रै
चैरै स्यूं मिलै हो ।