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अव्वल तो मैं / विष्णुचन्द्र शर्मा

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पेड़ का तना हुआ चेहरा

ढीला हुआ ।

मैंने धूल को झाड़ दिया

पत्तियाँ हँसी बेवजह ।

कहा पेड़ ने

"अव्वल तो हूँ

सनद मैं..."

ढीला चेहरा कौंधा उसका

और थामे मुझे

हँसा बेसाख़्ता !