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तूतनख़ामेन के लिए-11 / सुधीर सक्सेना
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गर सौंप दिया होता
किसी को अपना मुख्तारनामा
तूतनख़ामेन ने
तो न जाने क्या करता
मुख्तार ?
खरीद डालता चाराग़ाह,
अट्टालिकाएँ, मर्मरी प्रासाद,
जलपोत, विमान और संगणक ।
सैर कर आता अन्तरिक्ष की ।
हरम में भर देता
अनगिन सुन्दरियाँ
सर्वांग सुन्दर
कि देखो तो पलक तक न झँपे ।
खरीद डालता दुनिया भर की जिंस ।
दुनिया के अव्वल अमीरों में एक होता
तूतनख़ामेन का मुख्तार
रश्क करते उसकी क़िस्मत से
अमीर-उमराव, शेख,
लार्ड और नव कुबेर ।
मगर,
सब कुछ खरीदने के बाद आज भी
बस एक चीज़ नहीं ख़रीद पाता
तूतनख़ामेन का मुख्तार
हाथ मलता रहता
ढेर सारे सोने से
ख़रीद नहीं पाता मुख्तार
बस एक चीज़,
सब कुछ ख़रीदने के बाद
ख़रीद नहीं पाता मुख्तार
--अपने मालिक
तूतनख़ामेन के लिए
एक नई ज़िन्दगी ।