भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐसे प्रनत पाल रघुराई / संत जूड़ीराम
Kavita Kosh से
Dhirendra Asthana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:09, 10 जून 2015 का अवतरण
ऐसे प्रनत पाल रघुराई
वेद-पुरान विदित महिमा अति संतन के सुखदाई।
राखी पत प्रहलाद भक्त की फटो खंभ अर्राई।
धर नरसिंह असुर संघारे पूरन भक्ति डिढ़ाई।
त्रेतायुग अवतार अवध में लीला ललित सुहाई।
तात मात गृह राजतिलक तज सुरहित वनहिं सिधाई ।
जे जगदीन अधीन अधम अति सब कर विपत गमाई।
जूड़ीराम नाम रघुवर को भजमन तजि कुटलाई।