भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी आँखें / ओरहान वेली

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 30 जून 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहाँ हैं मेरी आँखें
कहाँ हैं ?

शैतान उन्हें अपने साथ ले गया
पर बेच नहीं पाया वह उन्हें
इसलिए उसने उन्हें वापिस लौटा दिया

ओह!
कहाँ हैं मेरी आँखें
कहाँ हैं ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय