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अश्वमेध-5 / स्वप्निल श्रीवास्तव

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जय जय जय जय घोड़ा नंदन ।

सुन्दर चेहरा बाँकी चितवन ।।

बड़े दाम पर बिकते हरदम ।

आपके जैसा किसमें दम-खम ।।

राजनीति के पथ पर टमटम ।

हरते हैं हर मानुष का गम ।।

आश्वासन देते हैं हर पल ।

दिखते अच्छॆ, पर हैं खल ।।

हिनहिन करते गाते गान ।

सत्ता का करते मदपान ।।