आईना / सिल्विया प्लाथ
रुपहला और सटीक, मैं नहीं रखता कोई पूर्वाग्रह
जो कुछ भी देखता हूँ, समा लेता हूँ खुद में अविलम्ब
हूबहू वैसा ही, प्रेम या नापसन्दगी से अप्रभावित
मैं क्रूर नहीं बस सच्चा हूँ
एक नन्हे से देवता की आँख जैसा चौकोर
मैं अक्सर निमग्न रहता हूँ ध्यान में अपने सामने वाली दीवार को देखकर
यह गुलाबी और चितकबरा है, मैंने इसे इतने लम्बे अरसे से देखा है
कि यह मुझे लगता है मेरे हृदय का ही एक अंश लेकिन झिलमिलाता हुआ
चेहरे और अन्धकार हमें करते रहते हैं विलग अक्सर
अब मैं हूँ एक झील, एक औरत झुकी हुई है मुझ पर
उसे तलाश है अपने अस्तित्व की मेरे विस्तार में
फिर वह उनकी तरफ देखती है जो कहते हैं उससे झूठ, चाँद और मोमबत्तियाँ
मैं देखता हूँ उसकी पीठ ख़ुद की तरफ़ और पूरी ईमानदारी से करता हूँ उसे भी प्रतिबिम्बित
उसके आँसू और हाथों की अकुलाहट मुझे ईनाम की तरह मिलते हैं
मैं जरूरी हूँ उसके लिए, वह जाती है वापस बार–बार आने के लिए
हर सुबह अन्धेरे के बाद देखता हूँ मैं उसका ही चेहरा
मुझमें खो दी हैं उसने एक युवती और मुझसे ही एक बूढ़ी होती औरत बढ़ती है उसकी ओर
दिन-प्रतिदिन एक भयंकर मछ्ली की तरह
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज