भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बतूता का जूता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:34, 28 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना }} Category:बाल-कविताएँ बतूता का जू...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बतूता का जूता
इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में
कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता
उड़ते उड़ते जूता उनका
जा पहुँचा जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दुकान में।