Last modified on 10 अगस्त 2015, at 15:00

चमत्कार / रामकृष्‍ण पांडेय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:00, 10 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकृष्‍ण पांडेय |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भाई, राम‍आसरे
एक दिन और बीत गया

न झुके, न टूटे
मेहनत की, मज़दूरी ली
अब आ रही है सुगन्ध
चूल्हे पर पकती रोटी की

सब प्रभु की माया है
उसका ही चमत्कार है
ज़िन्दगी से आदमी जीत गया

भाई, राम‍आसरे
एक दिन और बीत गया