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कमाल हो गया / नवनीत पाण्डे

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कुछ शब्द
टूटकर गिरे
होठों से

पड़े
होठों से
कानों में
अनर्थ हो गया

कुछ बातें
लिखी कलम ने
पढ़ी जानकारों ने

सवाल,
बवाल
हो गया

जो
लिखा
पढ़ा
अनजान
पाठकों ने
कमाल हो गया