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चिड़िया के पंख / सुमन बिस्सा
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बच्चों ने चिड़िया से पूछा,
तुम कैसे उड़ आती हो?
नन्ही-सी तो हो पर ऐसे
पंख कहाँ से लाती हो?
चिड़िया बोली पंख हमारे
सबको ना मिल पाएँगे,
लेकिन उनको मिल जाएँगे
जो मेरे घर आएँगे।
बच्चों ने जिद की तो बोली
चिड़िया अपनी बोली में,
कई पंख हैं मेरी अपनी
दादी जी की झोली में।
नानी के घर भी बनते हैं
पंख देखने आ जाना,
नमस्कार कर नानी को तुम
पंख उन्हीं से पा जाना।
तब से ढूँढ़ रहे हैं बच्चे
बस चिड़िया की नानी को,
लेकिन नानी मिली न अब तक
दोहरा रहे कहानी को।
रहती कहाँ चिडी़ की नानी
कोई हमें बता दे तो,
या फिर किसी परी से सचमुच
हमको पंख दिला दे तो!