भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हप्प मिठाई / देवेंद्रकुमार
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:28, 4 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेंद्रकुमार |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अरे!
अभी रखी थी
यहाँ मिठाई,
गई मिठाई!
सच-सच बोलो
किसने खाई,
वरना होगी
बहुत पिटाई।
रामू चुप है
चुप है हीरा,
नहीं बोलती
कुछ भी मीरा।
गप्प मिठाई,
हप्प मिठाई!
जो करना है
कर लो भाई,
क्या बोलेगी
हजम मिठाई!
ऐसे मुँह में
गई मिठाई!
अब तो लाओ
और मिठाई।