भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कलकत्ते की गाड़ी / चंद्रपाल सिंह यादव 'मयंक'

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:06, 4 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रपाल सिंह यादव 'मयंक' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कलकत्ते से गाड़ी आई,
टाफी-बिस्कुट, केले लाई,
गाड़ी बोली ई-ई-ई
आहा, उसने सीटी दी।