भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुश्मनी हमसे की ज़माने ने / मीर तक़ी 'मीर'

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:15, 30 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर' }} दुश्मनी हमसे की ज़माने ने<br> जो जफ़ाकार ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुश्मनी हमसे की ज़माने ने
जो जफ़ाकार तुझसा यार किया

ये तवाहुम का कारख़ाना है
याँ वही है जो ऐतबार किया

हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या
आन बैठे जो तुमने प्यार किया

सद रग-ए-जाँ को ताब दे बाहम
तेरी ज़ुल्फ़ों का एक तार किया

सख़त काफ़िर था जिसने पहले "मीर"
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया