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शोर मचाते हम / रतनसिंह किरमोलिया

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हंडा-बंडा, मुर्गी अंडा
गली-गली में गिल्ली-डंडा
शोर मचाते हम!
मार-मार डंडे से गिल्ली
सैर कराते, उसको दिल्ली
धूम मचाते हम!

इंशाअल्ला, करके हल्ला
ले के भागे चाँदी छल्ला
पीछे पीछे हम!
ओढ़ लबादा दूल्हे दादा
संग में लाए, ब्याह के राधा
अब काहे का गम!

छुरी काँटे हमने बांटे
आमलेट ने मारे चाँटे
आँख हो गई नम!
बबलू भड़के उठके तड़के
खूब नहाए बदन रगड़ के
फिर खाई चमचम!