भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कठपुतली / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:57, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तकली-सी नाचे कठपुतली
छम-छम छम-छम, छम-छम छम-छम।
एक हाथ है सिर के ऊपर
हाथ दूसरा रखे कमर पर,
लगा रही चक्कर पर चक्कर
जैसे लट्टू बीच सड़क पर
बँधी कमर में उसके सुतली
छम-छम छम-छम, छम-छम छम-छम।
एक पाँव को इधर उठाए
पाँव दूसरा उधर बढ़ाए,
एक आँख को इधर नचाए
आँख दूसरी उधर चलाए!
दिपती है बिजली-सी उजली
छम-छम छम-छम, छम-छम छम-छम।
कभी थिरकती, कभी मचलती
कभी संभलती, कभी फिसलती,
कभी मटकती, कभी निरखती
हाव-भाव उसके अनगिनती।
ताल-ताल पर पूरी तुलती
छम-छम छम-छम, छम-छम छम-छम।