भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैमरा / रमेश कौशिक

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:58, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाहे अपने दाँत दिखाओ
चाहे तुम मुसकाओ,
चाहे तुम आँसू टपकाओ
चाहे गुस्सा खाओ।

चाहे नाचो, चाहे गाओ
चाहे कूदो-छलो,
चाहे तैरो, नाव चलाओ
और बर्फ पर फिसलो।

चाहे फूलों को दुलराओ
चाहे तितली पकड़ो,
चाहे करो प्यार से बातें
चाहे जैसे अकड़ो।

जैसे होंगे, वैसा ही मैं
खींचूँ चित्र तुम्हारा,
सच्चाई को दिखलाना है
केवल काम हमारा।