भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हँसता गाता चल / रामानंद 'दोषी'
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:16, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामानंद 'दोषी' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का,
मेरे देश महान का!
चल भई, हँसता-गाता चल,
सबको गले लगाता चल।
पर यदि शीश उठाए काँटा,
आगे बढ़कर उसे कुचल।
हमको यह संदेश सुनाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!
पर्वत की चोटी पर चढ़,
सागर मथकर आगे बढ़।
कोई दुश्मन बचे न तेरा,
तोड़ दुश्मनी के सब गढ़।
यह आदेश हमें दे जाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!
सच की होती जीत सदा,
सच ही सच्चा मीत सदा।
रहते सच वालों के होठों,
पर मस्ती के गीत सदा।
हमको यह विश्वास दिलाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!