भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घोंघों रानी / भगवतीप्रसाद द्विवेदी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:15, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवतीप्रसाद द्विवेदी |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घोंघों रानी, कितना पानी?
दादी अम्माँ, कहो कहानी!

काले-भूरे, बौने-बौने
बादल के प्यारे मृगछौने
नभ के माथे पर दिखते हैं
हो जैसे अनगिनत डिठौने।

किसकी है यह कारस्तानी,
घोंघों रानी, कितना पानी?

ओका-बोका तीन तड़ोका
पहलवान ने ताल है ठोंका,
तैर रहे हैं नभ पर मेघा
लेकर संग हवा का झोंका।

टार्च जलाती बिजली रानी,
घोंघों रानी, कितना पानी?

बादल है क्या जल की गागर?
या गागर में सिमटा सागर?
इस सागर में कितनी सीपी?
हर सीपी क्या मोती का घर?

क्यों धरती की चूनर धानी?
घोंघों रानी, कितना पानी?