भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कच्चे चिट्ठे / तारादत्त निर्विरोध
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:23, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तारादत्त निर्विरोध |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कोयल को चुप देख गधे ने
शुरू किया जब गाना,
तभी अचानक एक ऊँट का
हुआ कहीं से आना।
कहा ऊँट ने गला फाड़ कर
‘ओ उल्लू के पट्ठे!!
जान-बूझकर खोल रहा क्यों
अपने कच्चे चिट्ठे!
-साभार: धर्मयुग, 1968