भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई ला के मुझे दे / दामोदर अग्रवाल
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:18, 7 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दामोदर अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कुछ रंग भरे फूल
कुछ खट्टे-मीठे फल,
थोड़ी बाँसुरी की धुन
थोड़ा जमुना का जल
कोई ला के मुझे दे!
एक सोना जड़ा दिन
एक रूपों भरी रात,
एक फूलों भरा गीत
एक गीतों भरी बात-
कोई ला के मुझे दे!
एक छाता छाँव का
एक धूप की घड़ी,
एक बादलों का कोट
एक दूब की छड़ी-
कोई ला के मुझे दे!
एक छुट्टी वाला दिन
एक अच्छी-सी किताब,
एक मीठा-सा सवाल
एक नन्हा-सा जवाब-
कोई ला के मुझे दे!