भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दौड़ / ओम प्रभाकर

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:31, 7 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम प्रभाकर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे ने खोली अलमारी,
अलमारीसे निकला बस्ता।
बच्चे ने फिर बस्ता खोला,
बस्ते से निकली इक पुस्तक।
फिर बच्चे ने खोली पुस्तक,
पुस्तक से निकला इक पाठ।
फिर बच्चे ने खोला पाठ,
और पाठ से निकली रोटी-
निकली और बाहर को भागी,
उसके पीछे बच्चा दौड़ा।
आगे रोटी, पीछे बच्चा
पीछे बच्चा, आगे रोटी,
दौड़ अभी भी जारी है।

-साभार: पराग, अक्तूबर, 1981, 48