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पाँच : पाँचवे पुरखे की कथा / धूमिल

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उनके लिए पूजा-पाठ :

केवल ढकोसला था

ऎसे अहिंसक कि--

उनकी बन्दूक में
बया का घोंसला था


ऎसे थे संयमी कि--

औरत जो एक बार
जांघ से उतर गई
उनके लिए मर गई
चतुरी चमार की
लटुरी पतौह को
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रात भर जूझते हैं देह के अंधेरे में

और सुबह हम अपनी

खाइयाँ

बदल लेते हैं ।

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अगर वह अपनी छाती पर एक कील

गाड़ने दे तो सोचता हूँ--

उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका

दूँ ।

"यह 'संसद' है--

यहाँ शोर करना सख्त मना है ।"