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छोड़ो जावण दो / नीरज दइया
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छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता।
थांरी आंख जाणै
फगत सात रंग
पैली तो सुभट सुणो
कविता रै पड़दै में रैवै-
उण रा रंग
अर सात नीं
थे ओळखो सताईस रंग
फेर ई गच्चो खावोला
जद-जद बांचोला कविता।
छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता
क्यूं कै
थे थांरै रंगां री सींव
लेय नै जोवोला रंग
अर हरेक नुंवीं कविता
थांनै दीसैला सदीव-
रंग-बायरी!