भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी ग़म से भर गई यारो / ज़ाहिद अबरोल

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र 'द्विज' (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:45, 27 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़ाहिद अबरोल |संग्रह=दरिया दरिया-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ज़िन्दगी ग़म से भर गई यारो
शादमानी किधर गई यारो

ज़र्द चेहरे मिले हैं नालः-ब-लब
जिस तरफ़ भी नज़र गई यारो

ज़िन्दगी से जो लड़ते देख लिया
मौत भी हम से डर गई यारो

काश! यह लब भी मुस्करा सकते
एक हसरत थी, मर गई यारो

हुस्न की ताब जो न लाती थी
वो नज़र अब किधर गई यारो

शब्दार्थ
<references/>