भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अकाल है / मधु आचार्य 'आशावादी'
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:34, 29 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मनुष्यों में
मनुष्यता का
रिस्तों में
विश्वास का
शब्दों में
संवेदना का
राज्य में
राम का
नेता में
काम का
सच कहता हूं-
अकाल है ।
अनुवाद : नीरज दइया