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इश्क़ का इम्तिहान है प्यारे / कांतिमोहन 'सोज़'
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इश्क़ का इम्तिहान है प्यारे ।
अब हथेली पे जान है प्यारे ।।
जैसे मोती बग़ैर हो सीपी
उसके बिन यूँ जहान है प्यारे ।
तेज़ होता है दर्द होने दो
हमको उसकी सुहान है प्यारे ।
ठीक कहते थे लोग पहले के
प्रीत बिन घट मसान है प्यारे ।
शायरी से भी कुछ नहीं हासिल
मुफ़्त की खैंच-तान है प्यारे ।
तीर चलता नज़र नहीं आता
एक ऐसी कमान है प्यारे ।
कल ये चरचा गली-गली होगा
सोज़ की क्या ज़बान है प्यारे ।।