भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तू कहाँ है? / रामनरेश पाठक

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 6 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तू कहाँ है,
गीत ?

शुष्क मरू की एक पीड़ा
तू सजल था,
शून्य मन की एक गाथा
तू मधुर था,
तप्त पथ पर का सुधानिधि
तू कहाँ है,
मीत ?

दिग-दिगन्तों ध्वनि-प्रतिध्वनि
ढूंढती मुझको,
आ, तुझे भेंटूं हृदय भर
युगों के बिछड़े मिलें दो,
ओ, शिला की चेतना, आ,
गा,
कहाँ है तू,
गीत ?