भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपकी याद / राकेश खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:08, 7 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = राकेश खंडेलवाल }} आपकी याद ने यूँ सँवारा मुझे, जैसे सर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपकी याद ने यूँ सँवारा मुझे, जैसे सरगम सँवारे है अलाप को
घुंघरुओं की खनक जो संवारे थिरक, एक तबले पे पड़ती हुई थाप को
आपके पाँव के चिन्ह जब से पड़े अंगनाई की देहरी पर प्रिये
खुशबुओं में घुले रंग सिन्दूर के, बिम्ब बन कर निहार करे आपको