भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदम की नींद / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:31, 7 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुइसेर येनिया |अनुवादक=मणि मोहन |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरी देह एक प्याली है मैं जिसमे अपने आँसू उड़ेलती हूँ
देखें कब तक कोई मेरा साथ नहीं देता
शब्द अभिव्यक्त नहीं कर सकते मेरी अनुभूति को
शब्द हुकूमत करते है मुझ पर
हर चीज़ की शुरुआत तर्क है
और अन्त वेदना
ओह लोग, जो एक स्वप्न से चलकर पृथ्वी पर आते हैं
यहाँ एक रेगिस्तान है
जहाँ दिखाई देती हैं रेत तरंगे
क्या अभी वह समय नहीं हुआ
कि जन्म दिया जाए मुझे
ताकि एक विकृत पसली का पृथ्वी पर आगमन हो
कौन पुरुष मुझे अपने शरीर से तोड़कर अलग करेगा ?