चौमासा / रेखा चमोली
पहाड़ पर बारिश दूर तक दिखाई पडती है
सुबह-सुबह बच्चों को अलसाती
देर कराती
फिसलाती ,खेल खिलाती , डांट पड़ाती
उन्हें स्कूल पहुॅचाती है
बारिश बड़े समय तक उनके साथ बनी रहती है
पेड़ों की छालों में
पत्थरों के कोंनों में
ठूॅठ की अंतिम नसों से प्राण खींच
हरियाली उपजाती है
डालियॉ हरी पत्तियांे से भर जाती है
खेतों ,रास्तोेें, बिट्टों, छानियों से जगहंे बनाती
रास्ते रोकती
नए रास्ते खोजती
पॉव उखाड़ती
छज्जे- गलियां सब धो जाती है
बारिश बिंदास बहती चली जाती है
रोपाई करती ,हथमैया लगाती बहू-बेटियों के गात रूझाती
उन्हें थकाती- खिजाती है
लुका-छिपी खेलती है घासों में
घसियारिनों की मुठ्ठी में
झम से पकडी जाती है
उनकी पीठ का बोझ बढाती है
पत्थरों की गड़गड़ाहट
किनारों का टूटना
झरने का अचानक खुलना
पहाड़ के किसी हिस्से का धड़ाम से गिरना
पशुओं का हड़बड़ाना
पहाड़ पर बारिश दूर तक सुनाई देती है
तबाही मचाती
गुस्सा दिखाती ,नींदे उड़ाती ,डराती
गाड-गदने उकसाती
किसी की परवाह न करती
बारिश खूब गाली खाती है।
पहाड़ पर बारिश मुश्किल समय दिखाती है।