भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कसूर / रेखा चमोली
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 13 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कपड़े-मेकअप
चाल-ढाल
खान-पान
रहन-सहन
उठना-बैठना
शक्ल-सूरत
रंग-ढंग
सब हमारा दोष
तुम तो बस
अपनी कुंठाओं से परेशान
उसे यहॉ-वहॉ उतारने को आतुर
तुम्हारा क्या कसूर ?