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ये गुलाबी खेल / कुमार रवींद्र

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पेट नंगे
पीठ पर गहरे छुरों के घाव
        किस तरह का है भला यह गाँव
 
हर गली में है पड़ी
अनजान बूढ़ी लाश
भूख के अड्डे पुराने
एक गड्डी ताश
 
गले कपड़े
देह टूटी - हैं जुए के दाँव
       किस तरह का है भला यह गाँव
 
हाथ में काँटे चुभे हैं
ये गुलाबी खेल
राजमहलों के पड़ोसी
हैं पुराने जेल
 
घर गुफाएँ
घूमते हैं जंगलों में पाँव
      किस तरह का है भला यह गाँव