बलिदान रहल कानि / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
बीतल ई वर्ख अड़सठि आजादीक कोन मानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
सोचलहुँ की पीड़ विरहक भोगथि हुनक संतान
मात्र दुइये दिवस लेल ओ बनल छथि महान
लाल बाल पाल गारल कोना निज देहक पानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
भरत आजाद गांधी वीर कुंवरक सभ शान
अशफ़ाक मनु कान्तिक स्वार्थसिद्धि हेतु गान
उद्देश्यक रथ सजिते पुनि सुतल चद्दरि तानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
जे लूटि लेलक देश ओकरे बाटे दिशि ध्यान
अंग्रेजीक चालिमे देशक भाषाक अवसान
प्रणाम सलाम छोड़ि हाय वाय वाय अकानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
अपन मकैयक लावा गामक दिन दुखिया लेल
वेअह महगीक विदेशिया पैक पॉपकॉर्न भेल
उपासल दस आना शेष नाचय फानि फानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
कुलीन कुकुर संग संगमे सभ शोभित चूसय
झाऊँ झाऊँ शब्दक बदलामे कतहु ने हूसय
असमंजस केर नोरक संग चाकर आँटा सानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि.....
धनलिप्साक कूप पैसल लोक छथि अशांत
ककरा देब दोख बुझू रास देखाउँसमे आक्रान्त
गिदराहा हिप्पी लग शिखा दाढ़ीक नहि मानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि....
जतेक रास जे हँसोथय समाज ओकरे मानय
ईमान धर्म अनुचरकेँ बुड़िबक वाचक जानय
त्याग दान मान हहरल मरल हृदयक गरानि
कुकुरौंझ हाहि भौतिक बलिदान रहल कानि...!