भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चैतावरि १ / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:05, 19 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मास मधुर बिनु कंत हो रामा विरह अगिन भेल !
 कतेक दिवस धरि बाट निहारल
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
सुनल मुरारी हेरथि राधा
हमर दुखक नहि अंत हो रामा बैमान नलिन भेल  !
टीसक टीस कही ककरा सँ
 छोहक गणित दिगंत हो रामा प्राण महीन भेल
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा छान दुर्दिन भेल !