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दुश्मन / राग तेलंग

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दुश्मन एक समय दोस्त हुआ करता था

पहले जितना जिगरी दोस्त था
बाद में उतना ही जानी दुश्मन हुआ

यूं बनाए रखी स्मृति में जगह हमेशा
दोस्त के भीतर दुश्मन ने

रस का रूप परिवर्तन शाश्वत है ।