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तुझको याद करूँ मैं / कमलेश द्विवेदी
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जब-जब तुझको याद करूँ मैं.
तनहा दिल आबाद करूँ मै.
बंधन है पर चाहत का है,
क्यों खुद को आजाद करूँ मैं.
तेरी प्रिय भाषा में अपने,
भावों का अनुवाद करूँ मैं.
सपनों की दुनिया में अक्सर,
तुझसे ही संवाद करूँ मैं.
जो चाहूँ वो तू दे देता,
क्यों कोई फरियाद करूँ मैं.
तुझको देख भुला दूँ खुद को,
फिर क्या उसके बाद करूँ मैं.