भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच जब तक खामोश रहेगा / कमलेश द्विवेदी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:48, 25 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अच्छा तब तक जोश रहेगा.
जब तक हमको होश रहेगा.

पीने की आदत है जिसकी,
वो हरदम मदहोश रहेगा.

थोड़ा-थोड़ा जोड़ेंगे तो,
कब तक खाली कोश रहेगा.

कोई माफी मांग अगर ले,
क्या उस पर आक्रोश रहेगा.

सोयेगा तो अब भी पीछे,
कछुये से खरगोश रहेगा.

तू हर इक मंजिल पा लेगा,
यदि साहस-संतोष रहेगा.

झूठ तभी तक चिल्लायेगा,
सच जब तक खामोश रहेगा.