शनि / शिरीष कुमार मौर्य
अचानक मिले एक जानकार ने बताया
पिछले साढ़े तीन बरस से वह मेरी राशि में था
अब भी है
किसी करेले-सा
मंगल के निकट सान्निध्य में
नीम चढ़ा होता हुआ
आगे भी चार बरस रहेगा
फिर उसी ने बताया मेरी राशि का नाम
दुनिया जहान के बारे में मेरी इस अनभिज्ञता पर अचरज करते हुए
उसने बताया पाँच तत्वों से बनी है हमारी देह
इसलिए सौरमंडल से प्रभावित होती है
और यह भी कि
किया जा सकता है सरसों के तेल के साथ पाँच किलो उड़द के दान से
सुदूर घूमते परमप्रतापी सूर्यपुत्र शनिदेव का इलाज
दरअसल मैं इतना अनभिज्ञ भी नहीं था
झाँक ही लेता था
मौके-बेमौके ग्रह नक्षत्रों की आसमानी दुनिया में
जिसकी टिमटिमाती निस्तब्धता
मुझे थाम-थाम लेती थी
क्या कुछ नहीं घटता उस रहस्यलोक में
जिसे हम अन्तरिक्ष कहते हैं
अचानक प्रसिद्धि पाए कवियों सरीखे
चमचमाते
आते धूमकेतु
छोड़ जाते धुँआ छोड़ती पूँछ के
अल्पजीवी निशान
कहीं से टूटकर आ गिरती
उल्का भी कोई
गड़ती हुई दिल में एक मीठी -सी याद
कभी कोई रोशनी जाती हुई दीखती
बच्चे बहुत उत्तेजित चमकती ऑंखों से निहारते उसे
शोर मचाते
उन्हीं में से कोई एक सयाना बतलाता
अमरीका के छोड़े उपग्रह हैं यह
कोई कहता हमने भी तो छोड़े हैं कुछ
तो मिलता जवाब
हमारे नहीं चमक सकते इतना
और फिर देखो वह तेज़ भी तो कितना है
अचानक दिख जाती
रात में भटके या फिर शायद शिकार पर निकले
किसी परिन्दे की छाया भी
घुलमिल जाती उसी रहस्यलोक के अ-दृश्यों में कहीं
लेकिन
हमारे वजूद के बहुत पास
हल्के-हल्के आती
पंखों के फड़फड़ाने की आश्वस्तकारी आवाज़
मैं देखता और सुनता चुपचाप
सोचता उन्हीं शनिदेव के बारे में जो
फिलहाल
अपना आसमानी राजपाट छोड़
मुझ निकम्मे के घर में थे
पहली बार किसने बनाया होगा
यह विधान
दूर सौरमंडल में घूमते ग्रहों को
अपने पिछवाड़े बाँधने का
किसने ये राशियाँ बनाई होंगी
किसने बिठाए होंगे
हमारे प्रारब्ध पर ये पहरेदार
दुनिया भर में
अपने हिंसक अतीत से डरे
और भविष्य की घोर अनिश्चितताओं में घिरे
अनगिनत कर्मशील
मनुष्यों ने आख़िर कब सौंप दिया होगा
कुछ चालबाज़ मक्कारों के हाथों
अपने जीवन का कारोबार
मत हार!
मत हार!
कहते हैं फुसफुसाते कुछ दोस्त-यार
उनकी मद्दम होती आवाज़ों में
अपनी आवाज़ मिला
यह एक अदना-सा कवि
इस महादेश की पिसती हुई जनता के
इन भविष्यवक्ता
कर्णधारों से
इतना ही कह सकता है
कि बच्चों की किताबों में
किसी प्यारे रंगीन खिलौने-सा लगता
सौरमंडल का सबसे खूबसूरत
यह ग्रह
क्या उसकी इस तथाकथित राशि में
उम्र भर रह सकता है?