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सोचकर सर झुका लिया यारो / कांतिमोहन 'सोज़'
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सोचकर सर झुका लिया यारो ।
हमने दुनिया को क्या दिया यारो ।।
मैंने साक़ी से जाम माँगा था
उसने बादल झुका दिया यारो ।
हमने रोकर उसे हंसाया था
उसने हँसकर रुला दिया यारो ।
भूलने पर हुए जो आमादा
हमने क्या-क्या भुला दिया यारो ।
वो हमारा सनम है सरबस है
ये भरम भी गंवा दिया यारो ।
माँ नहीं थी मगर वो जो भी थी
गाके लोरी सुला दिया यारो ।
सोज़ शिकवा भी कर नहीं सकता
फूल उसने चुभा दिया यारो ।।